एग्जिट पोल 2022 विश्लेषण: बीजेपी गुजरात में अपराजेय, हिमाचल प्रदेश में कांटे की टक्कर में और एमसीडी में आप को मौका!

एग्जिट पोल 2022 का विश्लेषण – गुजरात में बीजेपी महाशक्ति, हिमाचल में कांग्रेस को सत्ता का स्वाद, एमसीडी दिल्ली में आप को अवसर!आखिरकार 5 दिसंबर की वोटिंग के साथ ही गुजरात विधानसभा, हिमाचल प्रदेश विधानसभा, कुछ उप चुनाव और एमसीडी दिल्ली के चुनाव संपन्न हो गए। चुनाव संपन्न होते ही कई चेनल के एग्जिट पोल शाम 5:30 के बाद आना शुरू हो गए। सभी के आंकड़ों पर यदि गौर करे तो बीजेपी और नरेंद्र मोदी आज भी 182 विधानसभा सीटों वाले गुजरात में अपराजेय बनकर उभरे हैं। 68 सीटों वाली हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के साथ कांटे की टक्कर में फंस गए हैं। वही 250 सीटों वाली दिल्ली एमसीडी में लोगों ने डबल इंजिन की सरकार की कहावत को चरितार्थ करते हुए आप पार्टी को मौका देते दिख रही हैं।

गुजरात विधानसभा एग्जिट पोल 2022 परिणाम:

27 साल के शासन के बाद भी यदि बीजेपी पर गुजरात के लोग मेहरबान है तो कही न कही इसे मोदीजी का जादुई व्यक्तित्व कहेंगे। उनके ऊपर गुजरात के लोगो का अटूट विश्वास हैं। यदि सभी आए चैनल के आए एग्जिट पोल की माने तो बीजेपी को 182 सीटों में से कम से कम 125 सीटे और अधिक से अधिक 151 सीटे मिल सकती हैं। यदि ऐसा होता हैं तो स्वतंत्र भारत के इतिहास में पश्चिम बंगाल के सबसे अधिक शासन करने वाली पार्टी के रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए बीजेपी भारत की पहली पार्टी होगी जो जिसने एक राज्य में लगातार शासन किया। वही कांग्रेस पार्टी कम से कम 16 और अधिक से अधिक 52 सीटें प्राप्त कर सकती हैं। वही आप पार्टी की बात करे तो कम से कम 2 और अधिक से अधिक 21 सीटें प्राप्त कर सकती हैं। यदि अन्य की बात करे तो कम से कम 1 और अधिक से अधिक 7 सीटे प्राप्त कर सकते हैं।

गुजरात में किसकी सरकार:

गुजरात में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 92 सीटें हैं। यदि ये ही आंकड़े 8 दिसंबर की वोटों की गणना में परिणाम में बदलते है तो बीजेपी की इतिहास में सबसे बड़ी जीत होगी। पिछले चुनावों में कम होती सीटों को पुनः इतने बड़े रूप में पाना अपने आप में आश्चर्यजनक हैं। कांग्रेस के वोट, पहली बार चुनाव में शामिल आप पार्टी को स्थानांतरित होते दिख रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए चिंता का विषय हैं। आप पार्टी के लिए जो भी मिल रहा है, वो उनके लिए बोनस हैं। चुनाव दर चुनाव दर, ये देखने में आ रहा है कि जहां जहा कांग्रेस कमजोर हो रही है, वहां वहां आप पार्टी का उदय हो रहा हैं। 

हिमाचल प्रदेश विधानसभा एग्जिट पोल 2022 परिणाम:

हर 5 साल में हिमाचल प्रदेश के लोगों का सरकार बदलना एक लगातार की प्रक्रिया दिख रही हैं। इस पहाड़ी राज्य में उनके स्थानीय नेताओं की गांव तक पहुंच और प्रभाव के कारण उनका वोट बैंक उनसे छिटका नही हैं। कांग्रेस कांटे की टक्कर में सरकार बनाते दिख रही हैं। लेकिन बीजेपी की लिए इस सरकार बदलना वाले राज्य में कांग्रेस को कांटे की टक्कर देना भी एक इतिहास से कम नहीं हैं। यहां उनकी सरकार भी बन सकती है, यदि निर्दलीय और बागी ज्यादा चुनाव जीत कर आए हैं।  यदि सभी आए चैनल के आए एग्जिट पोल की माने तो बीजेपी को 68 सीटों में से कम से कम 24 सीटे और अधिक से अधिक 40 सीटे मिल सकती हैं। वही कांग्रेस पार्टी कम से कम 20 और अधिक से अधिक 40 सीटें प्राप्त कर सकती हैं। वही आप पार्टी की बात करे तो कम से कम 0 और अधिक से अधिक 3 सीटें प्राप्त कर सकती हैं। यदि अन्य की बात करे तो कम से कम 0 और अधिक से अधिक 8 सीटे प्राप्त कर सकते हैं।

हिमाचल में किसकी सरकार:

हिमाचल में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 35 सीटें हैं। यदि ये ही आंकड़े 8 दिसंबर की वोटों की गणना में परिणाम में बदलते है तो हिमाचल की जनता द्वारा हर 5 साल में सरकार बदलने के रिवाज की पुष्टि होगी। कांग्रेस के स्थानीय कद्दावर नेताओं की आज भी हिमाचल प्रदेश में पकड़ दिखती पड़ रही हैं। यदि इस कांटे की टक्कर में कांग्रेस सरकार बनाती है तो यह पिछले चुनावों के इतिहास को देखते हुए कोई बड़ी उपलब्धि नहीं माना जाएगा। हां यदि बीजेपी इस कांटे के मुकाबले में सरकार बनाती है तो यह जरूर इतिहास में दर्ज हो जाएगा। क्योंकि पहाड़ी मतदाता इतनी आसानी से किसी भी पार्टी को दूसरी बार सरकार बनाने का मौका नही देते हैं। यहां आप का कुछ भी नही होते दिख रहा हैं। इसका का मुख्य कारण है कि यहां कांग्रेस का मूल वोटर उनके साथ हैं और वह आप में स्थानांतरित नही हुआ हैं। यह लगता है कि इस कड़े कांटे के मुकाबले में निर्दलियों की बडी भूमिका रहने वाली हैं। वही सरकार बनाने की मुख्य भूमिका में रहेंगे। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी की सरकार बनना तय हैं।

एमसीडी दिल्ली चुनाव एग्जिट पोल 2022 परिणाम:

यदि दिल्ली की जनता के मूड की बात करे तो वह दिल्ली में डबल सरकार का सुख दिल्ली में सरकार में काबिज आम आदमी पार्टी को देना चाहती दिख रही है। दिल्ली की जनता आप पार्टी को सरकार और नगर निगम दोनो में मौका देकर उनको अच्छी तरह से काम करने का मौका देना चाहती है, ताकि अगली बार के चुनाव में इनके कामों के आधार पर चुनने का निर्णय ले सके। अब आप के पास बहाने के लिए कोई मौका नहीं देना चाहते हैं। यहां के आंकड़ों में यह देखने में आ रहा है कि कांग्रेस जैसे जैसे दिल्ली में कमजोर हो रही है वैसे वैसे आप मजबूत हो रही है। आप यहां पर कांग्रेस के वोट अपने लिए गुजरात की तरह स्थान्तरित करने में सफल होते दिख रही हैं और एकीकृत नगर निगम में अपना पहला मेयर देते दिख रही हैं। यदि सभी आए चैनल के आए एग्जिट पोल की माने तो बीजेपी को 250 सीटों में से कम से कम 61 सीटे और अधिक से अधिक 91 सीटे मिल सकती हैं। वही कांग्रेस पार्टी कम से कम 3 और अधिक से अधिक 7 सीटें प्राप्त कर सकती हैं। वही आप पार्टी की बात करे तो कम से कम 149 और अधिक से अधिक 171 सीटें प्राप्त कर सकती हैं। यदि अन्य की बात करे तो कम से कम 5 और अधिक से अधिक 9 सीटे प्राप्त कर सकते हैं।

एमसीडी दिल्ली नगर निगम किसकी सरकार:

दिल्ली के एमसीडी नगर निगम में अपना मेयर बनाने का जादुई आंकड़ा 126 हैं। यहां पर आप पार्टी, कांग्रेस का अधिकतम वोट शेयर अपने पक्ष में स्थानांतरित करवाने में सफल नजर आ रही है। यहां आप पार्टी नगर निगम पर कब्जा करते हुए दिख रही हैं। यह कांग्रेस को चिंता का विषय होना चाहिए। बीजेपी का वोट का प्रतिशत लगभग हर बार जैसे बना हुआ हैं। वह कांग्रेस और आप के वोट प्रतिशत में सेंध लगाने में असमर्थ दिख रही हैं। स्थानीय स्तर पर आप के बड़े नेताओं की टक्कर के नेता की कमी बीजेपी में दिख रही हैं। बीजेपी के अंदर स्थानीय नेताओं की एकजुटता भी एक चिंता का विषय हैं। 

गुजरात, हिमाचल प्रदेश और एमसीडी चुनाव का SWOT (Strength – ताकत) (weakness – कमजोरी) (Opportunity – अवसर) (Threat – खतरा) विश्लेषण:

Strength (ताकत)

बीजेपी: यदि बीजेपी के लिए सकारात्मक (ताकत) बात करे तो वह अपने मूल वोट बैंक को नियंत्रित करके रखे हैं| उसका वोट प्रतिशत ३५ से ४६  के आसपास बना हुआ हैं| वह बड़ी उपलब्धि हैं| यही उनकी ताकत हैं| 

आप: वही दूसरी ओर  सरकार के खिलाफ आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी लगातार कांग्रेस के मूल मतदाता में सेंध लगाकर चुनाव दर चुनाव दर आगे बढ़ती जा रही हैं| यही उनकी ताकत हैं| उनका प्रतिशत, जहाँ कांग्रेस कमजोर हैं वहां ४३ प्रतिशत तक पहुँच चूका हैं| 

कांग्रेस: कांग्रेस पार्टी के लिए आज भी स्थानीय कद्दावर नेता कमाल कर रहे हैं| यदि वह केंद्रीय दखल के बिना अपने स्तर पर कुछ अच्छा कर रहे तो उसका प्रतिफल परिणाम में दिख रहा हैं| यह उनकी ताकत हैं| 

(weakness – कमजोरी): 

बीजेपी: आज भी बीजेपी कई राज्यों में स्थानीय स्तर पर मजबूत नेताओं की फौज खड़ा करने में असमर्थ रही है| चुनाव दर चुनाव करिश्माई नेता नरेंद्र मोदी पर निर्भरता, बीजेपी की बड़ी कमजोरी साबित हो रही हैं| 

आप: आंदोलन से भ्रष्टाचार के खिलाफ उभरी पार्टी, आज भी कांग्रेस के कमजोर होने पर निर्भर हैं| यही उनकी कमजोरी हैं| यह पार्टी वही कुछ अच्छा कर पा रही है या सरकार बना पा रही हैं, जहाँ कांग्रेस कमजोर और नेतृत्वविहीन होती जा रही हैं| वह आज भी बीजेपी के मूल मतदाता में सेंध नहीं लगा पा रही हैं| 

कांग्रेस: कांग्रेस पार्टी के लिए अब इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी और नेहरू जी जैसे करिश्माई नेता की कमी खल रही है, जो कि विभिन्न राज्यों में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को नियंत्रित कर सके और एकजुटता के साथ चुनाव को बिना भीतरघात और मनमुटाव से लड़ सके| यही केंद्रीय नेतृत्व की कमी सबसे बड़ी कमजोरी दिख रही हैं| 

(Opportunity – अवसर):

बीजेपी: बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हैं और उसका कई राज्यों और स्थानीय निकायों में शासन हैं| मोदीजी जैसे करिश्माई नेतृत्व के चलते वह स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने मतभेद भुलाकर एकजुट होकर सरकार के कामों को आम जनता तक पहुंचाने का काम करना चाहिए| जन जन में ये सन्देश जाना चाहिए कि बीजेपी देश के लिए क्यों जरुरी हैं| 

आप: आंदोलन से भ्रष्टाचार के खिलाफ उभरी पार्टी आप को अवसर ये है कि वह कांग्रेस के मूल मतदाता में और सेंध लगा सकती हैं| वो मतदाता जो बीजेपी के साथ कभी भी नहीं आ सकता हैं, उन मतदाताओं की समस्याओं और मांगों के अनुसार अपने आप को ढालकर कई राज्यों में जहाँ कांग्रेस और बीजेपी की सीढ़ी लड़ाई हैं, वहां फायदा उठा सकती हैं|  

कांग्रेस: कांग्रेस पार्टी के लिए अवसर हैं कि वह स्थानीय स्तर के नेताओं को उभरने दे और जो नेता पार्टी के लिए समर्पित हैं, उनको आगे बढ़ाये| युवा नेताओं की कमी सी जूझती पार्टी को युवा नेताओं को आगे आने देना चाहिए, जिससे उसे आने वाले समय में फायदा मिले| 

(Threat -खतरा ):

बीजेपी: बीजेपी के लिए सबसे बड़ा डर है कि मोदी के बाद कौन| वैसे बीजेपी को आने वाले समय में राज्य स्तर पर उभरे नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर उभारने के लिए ध्यान देना चाहिए| जहाँ मोदी जी की जरुरत नहीं हैं, वहां दूसरी पंक्ति वालों नेताओं को आगे आने का अवसर देना चाहिए, नहीं मोदीजी के संन्यास के बाद अचानक राष्ट्रीय स्तर पर करिश्माई नेतृत्व खड़ा करने में असुविधा होगी| यही बीजेपी के लिए खतरा बन सकती हैं| 

आप: लोकपाल और भ्रष्टाचार के खिलाफ इतना बड़ा आंदोलन खड़ा करके सत्ता का स्वाद चखने वाली पार्टी के कई मंत्री जेल में है और कई इल्ज़ामों के जाने की तैयारी में हैं| उन पर अपने पार्टी के सिद्धांतो के अनुसार  इन इलज़ाम लगे मंत्रियों को सरकार में रखना या इस्तीफा न लेना, उनके खिलाफ जनता में आक्रोश पैदा कर सकता हैं, जिससे उनकी साख गिरने का पूरा खतरा हैं| 

कांग्रेस: कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ा खतरा, पार्टी की कमान कई बुजुर्ग नेताओं के हाथ में हैं, जो कि कांग्रेस के निर्णयों में पूर्ण दखल रखते हैं और  सभी निर्णय उनके पुरानी सोच के आधार पर होते हैं| वास्तव में देखे तो कांग्रेस को बुजुर्गों की पार्टी कहे तो कोई बड़ी बात नहीं| यही खतरे से पार्टी को उभरकर दूसरी पंक्ति के नेताओं को बड़ी जिम्मेवारी देकर थोड़ा उभरने का मौका देना चाहिए| 

लेखक: अश्विनी कुमार (सामरिक विषयों के समीक्षक व विश्लेषक)

अस्वीकरण: इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं और इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री पर आधारित हैं| इसमें  किसी भी प्रकार की अधूरी और अपुष्ट सूचना के लिए, वेबसाइट या उससे सम्बंधित कोई भी व्यक्ति की जिम्मेवारी नहीं होगी| इस जानकारी का उपयोग आप अपने विवेक के अनुसार करे| 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *