विधानसभा चुनाव परिणाम 2022 का विश्लेषण – गुजरात में बीजेपी अपराजेय, हिमाचल में कांग्रेस को सत्ता की चाबी, आप पार्टी बनी राष्ट्रीय पार्टी!

अंततः 8 दिसंबर को वोटों की गणना के साथ ही गुजरात विधानसभा, हिमाचल प्रदेश विधानसभा व कुछ उप चुनाव के परिणाम घोषित हो गए। चुनाव परिणाम के अनुसार गुजरात में मोदीजी के विकास की राजनीति पर मुहर लगाते हुए 27 साल के बाद पुनः ऐतिहासिक जीत के लिए जनता ने 182 विधानसभा सीटों में से 156 सीटें देकर बहुत ही दिल से विश्वास जताया है। वही कांग्रेस को मात्र 17 सीटें देकर सोचने पर मजबूर किया हैं। 91 सीटों के बड़े दावे करने वाली आप पार्टी को मात्र 5 सीटें मिली। वही अन्य मात्र 4 सीटों पर विजयी हुए।

वही यदि हिमाचल प्रदेश की बात करे तो पहाड़ी पर निवास करने जनता ने अपने वर्षों के रिवाज को कायम रखते हुए पुनः दूसरी बार बीजेपी को सत्ता न देते हुए, इस बार कांग्रेस को मौका दिया। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 68 सीटों वाली हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए कांग्रेस को 40 सीटें मिली है। वही बीजेपी को 25 सीटे मिली हैं। आप पार्टी का खाता भी नहीं खुला हैं। वही अन्य को 3 सीटें मिली हैं। 

गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 परिणाम:

27 साल के शासन के बाद भी यदि बीजेपी पर गुजरात के लोग मेहरबान है तो कही न कही इसे मोदीजी का जादुई व्यक्तित्व कहेंगे। उनके ऊपर गुजरात के लोगो का अटूट विश्वास हैं। यदि चुनाव परिणाम की बात करें तो बीजेपी को 182 सीटों में से सभी एग्जिट पोल के अनुमानों के पर 156 सीटें मिली हैं। यह ऐतिहासिक जीत हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पश्चिम बंगाल के सबसे अधिक शासन करने वाली पार्टी के रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए बीजेपी भारत की पहली पार्टी बनी हैं जिसने एक राज्य में लगातार शासन किया। वही कांग्रेस पार्टी ने पिछले चुनावों की तुलना में अतिदयनीय प्रदर्शन किया हैं। मतदाताओं ने उन्हें मात्र 17 सीटें दी है, जो कि उनके सबसे खराब प्रदर्शन को प्रदर्शित करता हैं। वही आप पार्टी की बात करे तो उन्होंने पहली बार 5 सीटें प्राप्त कर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त किया। यह आप पार्टी के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं। यदि अन्य की बात करे तो उन्होंने 4 सीटें प्राप्त की। भाजपा रिकॉर्ड के साथ हर वर्ग का 52.5 प्रतिशत वोट मिला। कांग्रेस को मात्र  27.3 प्रतिशत वोट मिला। आप ने 12.9 प्रतिशत वोट के साथ पहली बार गुजरात में उपस्थिति दर्ज कराई और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने में सफल रहे। 

गुजरात में भाजपा की सरकार:

गुजरात में भाजपा 27 साल बाद पुनः सरकार बनाने जा रही हैं। यह पार्टी और प्रधानमंत्री के लिए गर्व की बात हैं कि जनता का इतना आशीर्वाद और प्यार गुजरात की जनता से मिला। अब फिर से भूपेंद्र भाई पटेल फिर से 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 परिणाम:

हर 5 साल में हिमाचल प्रदेश के लोगों का सरकार बदलना एक लगातार की प्रक्रिया दिख रही हैं। इस पहाड़ी राज्य में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की गांव तक पहुंच और प्रभाव के कारण उनका वोट बैंक उनसे छिटका नही हैं। कांग्रेस ने कांटे की टक्कर में 68 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें जीतकर अपनी पिछले कई चुनावों में सत्ता से बेदखल होने के बाद, फिर से सरकार बनाने जा रहे हैं। कई सीटों पर बहुत कम मार्जिन से जीतने के बाद आखिरकार सरकार बनाने में सफल हो गई हैं। वही बीजेपी ने 25 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल का दर्जा प्राप्त कर लिया हैं। अबकी बार बीजेपी रिवाज बदलने में कामयाब नही हुई। वही आप पार्टी का खाता नही खुला हैं। दूसरी ओर अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटें आने में सफलता पाई हैं। बीजेपी रिवाज बदलने की कगार पर ही थी, लेकिन बीजेपी के बागियों ने कम मार्जिन वाली सीटों पर बीजेपी को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया। कांग्रेस ने मामूली वोट प्रतिशत बढ़त के साथ हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 43.9 प्रतिशत वोट पाए। वही बीजेपी ने भी कांग्रेस से थोड़ा कम 43 प्रतिशत वोट पाए। यहां पर आप कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब नही हुई। उन्हे मात्र 1.10 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा। अन्य यानी निर्दलियों ने लगभग 10.39 प्रतिशत वोटों पर कब्जा किया जो कि बीजेपी का हार का कारण बना। इसमें उनके अच्छे बागी नेता थे, जिन्होंने अच्छे खासे बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाई।

हिमाचल में कांग्रेस की सरकार:हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत के बाद अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर चर्चा शुरू हो गई है। हिमाचल प्रदेश की सीएम रेस में युवा नेता विक्रमादित्य सिंह का नाम सबसे आगे है। 33 साल के विक्रमादित्य सिंह पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। विक्रमादित्य शुरू से ही चुनाव में काफी सक्रिय रहे हैं। पिछले साल पिता के निधन के बाद विक्रमादित्य को राजा बनाया गया। विक्रमादित्य सिंह ने शिमला ग्रामीण सीट पर 13,860 वोटों से जीत हासिल की। हालांकि वह अपनी मां प्रतिभा सिंह को हिमाचल का सीएम बनते देखना चाहते हैं। अब कांग्रेस के चुने हुए विधायक और उनका केंद्रीय नेतृत्व निर्णय लेगा कि कई मुख्यमंत्री की शपथ लेगा। 

2022 के उपचुनावों का परीणाम:

गुजरात और हिमाचल विधानसभा के चुनावों के साथ उत्तरप्रदेश की 2 सीटों पर, राजस्थान, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और बिहार में 1 – 1 सीट पर विधानसभा के उप चुनाव हुए। उत्तरप्रदेश में रामपुर सीट भाजपा ने जीतकर इतिहास बनाया। दूसरी सीट राष्ट्रीय लोक दल ने जीती। राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने, ओडिशा में बीजू जनता दल ने और बिहार में बीजेपी ने विधानसभा उप चुनाव जीता। लोकसभा चुनाव के उपचुनाव में स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के देहांत के बाद खाली सीट समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने जीता।

गुजरात व हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों का SWOT (Strength – ताकत) (weakness – कमजोरी) (Opportunity – अवसर) (Threat – खतरा) विश्लेषण:

Strength (ताकत)

कांग्रेस: कांग्रेस पार्टी के लिए आज भी स्थानीय कद्दावर नेता कमाल कर रहे हैं| हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जी का परिवार इस चुनाव में निराशा में डूबी कांग्रेस के लिए आशा की किरण लेकर लाया हैं। यह राजा महाराजाओं वाला परिवार हमेशा से कांग्रेस के लिए हिमाचल प्रदेश में ताकत रहा है।

बीजेपी: यदि बीजेपी के लिए सकारात्मक (ताकत) बात करे तो वह अपने मूल वोट बैंक को नियंत्रित करके रखा हैं| 5 साल की सत्ता विरोधी लहर के बाद भी उनको मिले वोट का प्रतिशत लगभग कांग्रेस के करीब होना ही उनकी ताकत हैं। उसका वोट प्रतिशत 43 प्रतिशत मिलना जो कि कांग्रेस से मात्रा 0.9 प्रतिशत कम है, वह उनके लिए आने वाले स्थानीय और लोकसभा में उनकी ताकत हैं।  वही गुजरात में 52.5 प्रतिशत वोटों को प्राप्त कर इतिहास में सर्वाधिक समय तक शासन करने को इतिहास बनाना अपने आप में काबिलेतारीफ हैं। बीजेपी के लिए जमीनी स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ता और मोदीजी की लोकप्रियता ही बड़ी ताकत हैं।

आप: वही दूसरी ओर  सरकार के खिलाफ आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी लगातार कांग्रेस के मूल मतदाता में सेंध लगाकर चुनाव दर चुनाव दर आगे बढ़ती जा रही हैं| यही उनकी ताकत हैं| गुजरात में 12.9 प्रतिशत वोट लेना और कांग्रेस का बुरा प्रदर्शन, इसी बात का धोतक हैं| आप का कांग्रेस के मूल मतदाता को अपनी ओर खींचना ही उनकी ताकत है।

weakness – कमजोरी: 

बीजेपी: आज भी बीजेपी कई राज्यों में स्थानीय स्तर पर मजबूत नेताओं की फौज खड़ा करने में असमर्थ रही है| चुनाव दर चुनाव करिश्माई नेता नरेंद्र मोदी पर निर्भरता, बीजेपी की बड़ी कमजोरी साबित हो रही हैं| 

आप: आंदोलन से भ्रष्टाचार के खिलाफ उभरी पार्टी, आज भी कांग्रेस के कमजोर होने पर निर्भर हैं| यही उनकी कमजोरी हैं| यह पार्टी वही कुछ अच्छा कर पा रही है या सरकार बना पा रही हैं, जहाँ कांग्रेस कमजोर और नेतृत्वविहीन होती जा रही हैं| वह आज भी बीजेपी के मूल मतदाता में सेंध नहीं लगा पा रही हैं| 

कांग्रेस: कांग्रेस पार्टी के लिए अब इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी और नेहरू जी जैसे करिश्माई नेता की कमी खल रही है, जो कि विभिन्न राज्यों में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को नियंत्रित कर सके और एकजुटता के साथ चुनाव को बिना भीतरघात और मनमुटाव से लड़ सके| यही केंद्रीय नेतृत्व की कमी सबसे बड़ी कमजोरी दिख रही हैं| 

Opportunity – अवसर:

बीजेपी: बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हैं और उसका कई राज्यों और स्थानीय निकायों में शासन हैं| मोदीजी जैसे करिश्माई नेतृत्व के चलते वह स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने मतभेद भुलाकर एकजुट होकर सरकार के कामों को आम जनता तक पहुंचाने का काम करना चाहिए| जन जन में ये सन्देश जाना चाहिए कि बीजेपी देश के लिए क्यों जरुरी हैं| 

आप: आंदोलन से भ्रष्टाचार के खिलाफ उभरी पार्टी आप को अवसर ये है कि वह कांग्रेस के मूल मतदाता में और सेंध लगा सकती हैं| वो मतदाता जो बीजेपी के साथ कभी भी नहीं आ सकता हैं, उन मतदाताओं की समस्याओं और मांगों के अनुसार अपने आप को ढालकर कई राज्यों में जहाँ कांग्रेस और बीजेपी की सीढ़ी लड़ाई हैं, वहां फायदा उठा सकती हैं|  

कांग्रेस: कांग्रेस पार्टी के लिए अवसर हैं कि वह स्थानीय स्तर के नेताओं को उभरने दे और जो नेता पार्टी के लिए समर्पित हैं, उनको आगे बढ़ाये| युवा नेताओं की कमी सी जूझती पार्टी को युवा नेताओं को आगे आने देना चाहिए, जिससे उसे आने वाले समय में फायदा मिले| 

Threat -खतरा:

बीजेपी: बीजेपी के लिए सबसे बड़ा डर है कि मोदी के बाद कौन| वैसे बीजेपी को आने वाले समय में राज्य स्तर पर उभरे नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर उभारने के लिए ध्यान देना चाहिए| जहाँ मोदी जी की जरुरत नहीं हैं, वहां दूसरी पंक्ति वालों नेताओं को आगे आने का अवसर देना चाहिए, नहीं तो मोदीजी के संन्यास के बाद अचानक राष्ट्रीय स्तर 

पर करिश्माई नेतृत्व खड़ा करने में असुविधा होगी| यही बीजेपी के लिए खतरा बन सकती हैं| 

आप: लोकपाल और भ्रष्टाचार के खिलाफ इतना बड़ा आंदोलन खड़ा करके सत्ता का स्वाद चखने वाली पार्टी के कई मंत्री जेल में है और कई इल्ज़ामों के जाने की तैयारी में हैं| उन पर अपने पार्टी के सिद्धांतो के अनुसार  इन इलज़ाम लगे मंत्रियों को सरकार में रखना या इस्तीफा न लेना, उनके खिलाफ जनता में आक्रोश पैदा कर सकता हैं, जिससे उनकी साख गिरने का पूरा खतरा हैं| 

कांग्रेस: कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ा खतरा, पार्टी की कमान कई बुजुर्ग नेताओं के हाथ में हैं, जो कि कांग्रेस के निर्णयों में पूर्ण दखल रखते हैं और  सभी निर्णय उनके पुरानी सोच के आधार पर होते हैं| वास्तव में देखे तो कांग्रेस को बुजुर्गों की पार्टी कहे तो कोई बड़ी बात नहीं| यही खतरे से पार्टी को उभरकर दूसरी पंक्ति के नेताओं को बड़ी जिम्मेवारी देकर थोड़ा उभरने का मौका देना चाहिए| 

लेखक: गाहोई अश्विनी कुमार “गुप्त” (समीक्षक व विश्लेषक)

अस्वीकरण: इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं और इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री पर आधारित हैं| इसमें  किसी भी प्रकार की अधूरी और अपुष्ट सूचना के लिए, वेबसाइट या उससे सम्बंधित कोई भी व्यक्ति की जिम्मेवारी नहीं होगी| इस जानकारी का उपयोग आप अपने विवेक के अनुसार करे| 

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