देवरी, रायसेन, मध्यप्रदेश निवासी “बिजली वाले मास्साब” नाम से प्रसिद्ध ७६ वर्षीय श्री जगदीश प्रसाद बरसैंया एक जाने माने विज्ञान शिक्षक और बहुआयामी कार्यो के करने वाले सुहृदय, दयालु, समाजसेवी और प्रेरणास्त्रोत व्यक्ति थे| स्वर्गीय शिवरतन लाल गुप्ता और स्वर्गीय रामकली बाई के घर जन्मे जगदीश प्रसाद जी ने शुरू से ही संघर्षो को दौर देखा| छह भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़े भाई होने के नाते अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए परिवार के पालन-पोषण में अपने माता पिता का हाथ बंटाया| पढाई में प्रतिभाशाली होने के वावजूद, अपनी उच्च शिक्षा को ग्यारहवीं तक ही सीमित रखते हुए पारिवारिक समस्याओं के चलते, जल्दी ही अध्यापक की सरकारी नौकरी कर ली| मध्यप्रदेश में सिरोंज, विदिशा से अपना शिक्षक का कर्त्तव्य पालन करते हुए अपने जन्म स्थान देवरी के कन्याशाला स्कूल से प्राथमिक शाला के प्राध्यापक के रूप में सेवानिवृत हुए| इस दौरान उन्होंने अपनी परिवारिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए, अपने भाई और बहनो के भविष्य को भी संवारा|
६० से ७० के दशक में विद्युत और घर में बिजली की फिटिंग के जानकार के बहुत कम थे| कुछ नया सीखने की ललक ने उन्होंने ने अपने स्कूल के अध्यापन के पश्चात बिजली के कार्य को सीखने में दिन रात लगाया और उन्होंने अपने गॉंव देवरी के आसपास के गांवों के प्रत्येक घर में अपने हाथो से बिजली का कार्य किया| इस दौरान उन्होंने उन्होंने कई लोगों को बिजली का कार्य सिखाया, जिससे उनके कई शिष्य आज भी अपने इसी कार्य से जीवनयापन कर रहे हैं| इस कारण उन्होंने अपने क्षेत्र में “बिजली वाले मास्साब” के रूप में ख्याति पाई| इसके अलावा उन्होंने जिंदगी में हर तरह के कार्य बड़ी शिद्द्त से किया, चाहे फिर वह अध्यापन का कार्य हो या फिर कोई व्यावसायिक कार्य हो| विकासशील विचारधारा को आत्मसात करने वाले बरसैंयाजी ने शिक्षा व बिजली के कार्य के अलावा व्यापार और कृषि कार्य में भी हाथ आजमाया|
समाज सेवा की भावना के चलते उन्होंने कई सामाजिक गतिविधियों में बढ़ चढ़कर जैसे उनके नवदुर्गा मंडल की झांकी में फांसी लटकते भगत सिंह से लेकर मृत्यु शैय्या पे लेटे भीष्म पितामह का जीवित किरदार निभाया| कई घंटों झांकी में इन किरदारों की प्रस्तुति देकर दर्शकों और गांव के लोगों की वाही वाही लूटी| इसके अलावा वे कई सामाजिक और धार्मिक कार्यों के हिस्सा रहे| रामचरित मानस मण्डली में सहयोग से लेकर पेंशनधारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए आगे आये| सेवानिवृत होने के बाद , वे पेंशनभोगियों की समस्याओं के निराकरण के लिए बनी एक संस्था का हिस्सा बने और उसके कार्य निष्पादन में अहम् भूमिका निभाई| उन्होंने अपने सामाजिक कार्य को आगे बढ़ाते हुए, जरूरतमंद को आर्थिक सहयोग से लेकर मंदिर और श्मशान घाट के विकास कार्यों में सहयोग दिया|
देवरी, रायसेन निवासी “बिजली वाले मास्साब” नाम से प्रसिद्ध ७६ वर्षीय श्री जगदीश प्रसाद बरसैंया का ३ अक्टूबर २०२० का अकस्मात् सांस सम्बन्धी परेशानियों के चलते निधन हो गया था| वे अपने पीछे पत्नी, एक पुत्र और दो पुत्रिया छोड़ गए हैं|
जिंदादिली से जीने वाले व हर किसी का सहयोग करने वाले बहुआयामी प्रतिभासंपन्न और समाजसेवी स्वर्गीय श्री जगदीश प्रसाद बरसैंया की कमी उनके परिवार, समाज और उनके गाँव को बहुत खलेगी| उनकी याद में सभी देवरी वासियों और गहोई वैश्य समाज की तरफ से श्रद्धांजलि और उनको चरणों में श्रद्धासुमन|
प्रेषक – अश्विनी कुमार बरसैंया, देवरी, रायसेन (म. प्र.)