GAHOIMUMBAI

गहोई गौरव: झाँसी के “रामानुजन” व “पर्ल्स ऑफ बुंदेलखंड” नाम से अलंकृत भारतीय वैदिक गणित के इतिहास के शोधकर्ता प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता (खरया) जी को पद्मश्री पुरस्कार।

Jhansi based Professor Radhacharan Gupta to receive the "Padma Shri 2023" by President Droupadi Murmu!

झाँसी, उत्तर प्रदेश: झांसी के रसबहार कॉलोनी निवासी प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता  (खरया) जी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री दिए जाने की घोषणा हुई है। भारतीय वैदिक गणित का इतिहास साधने वाले श्री गुप्ता के पुरुषार्थ और उनकी महारथ की भारत सरकार ने पहचान की है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू अब उन्हें पद्म पुरस्कार से अलंकृत करेंगी। गहोई समाज के लिए ये गौरव का क्षण है। राष्ट्र कवि मैथली शरण गुप्त और पहली मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य व पूर्व पिछोर विधायक और पटवा सरकार में कैबिनेट राजस्व मंत्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता उर्फ नन्नाजी के बाद गहोई समाज का एक और हस्ताक्षर ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंचा है। हमारे सभी सजातीय गहोई समाज के बंधुओं की ओर से पद्मश्री राधाचरण गुप्ताजी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। 

Jhansi based Professor Radhacharan Gupta to receive the “Padma Shri 2023” by President Droupadi Murmu!

भारत सरकार ने इस वर्ष मिलने वाले पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. पद्म पुरस्कारों से सम्मानित होने वाले नागरिकों में एक नाम ऐसा भी है जिसकी घोषणा के साथ ही झांसी समेत पूरे बुंदेलखंड में खुशियों की लहर दौड़ गई. यह नाम झांसी के रहने वाले प्रोफेसर राधाचरण गुप्त का है. प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा. राधाचरण गुप्ता ने गणित और गणित के इतिहास पर लंबा काम किया है. वह अभी तक 500 से अधिक शोध पत्रों और 80 पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं.

Jhansi based Professor Radhacharan Gupta to receive the “Padma Shri 2023” by President Droupadi Murmu!

गणित के इतिहास पर उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य को सम्मानित करते हुए आईआईटी बॉम्बे ने उनका 80वां जन्मदिन अपने कैंपस में मनाया था. इसके साथ ही आईआईटी बॉम्बे द्वारा उनके चुनिंदा शोध पत्रों को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है. इस पुस्तक को गणितानंद नाम दिया गया है. वैदिक गणित पर आधारित यह पुस्तक काफी चर्चा में बनी हुई है. इसके साथ ही उनके काम को आईआईटी गांधीनगर द्वारा डिजिटलाइज करके संग्रहित किया जा रहा है.राधाचरण गुप्ता ने अपना पूरा जीवन भारतीय गणित के इतिहास पर आधारित शोध, लेखन और अध्यापन में बिताया। वर्तमान में उनकी उम्र लगभग 88 वर्ष है और इस उम्र में भी वे दुनिया की चकाचौंध से दूर पुस्तकों में समाए रहते हैं। 

प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता (खरया) की जीवन परिचय

वैसे तो बुंदेलखंड कई हस्तियों को जन्म दिया हैं| इन हस्तियों में एक नाम अब प्रोफेसर और गणितज्ञ श्री राधाचरण गुप्त (खरया) का नाम जुड़ गया हैं| पद्मश्री श्री राधाचरण गुप्त का जन्म वीरभूमि, झाँसी में वर्ष 1935 में श्रवण पूर्णिमा में रक्षा बंधन के दिन एक साधारण गहोई वैश्य परिवार में हुआ। इनकी माताजी श्रीमती बिनो गुप्ता और पिताजी श्री छोटेलाल गुप्ता थे| इनके पिता मुनीम/मुंशी का काम करते थे| इन्हे घर पर “पुनू” नाम से परिवार के लोग सम्बोधन करते थे| वह बचपन में लक्ष्मी व्यायाम मंदिर झांसी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा में जाते थे और नियमित व्यायाम करते थे। 

प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता (खरया) की शिक्षा

इनकी शिक्षा दीक्षा झाँसी में ही हुई| इन्होने १९५३ में झाँसी में स्थित बिपिन बिहारी हंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा भौतिकी, गणित और रसायन शास्त्र में उत्कृष्टता से उत्तीर्ण की| झाँसी में उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने से वह अपनी शिक्षा की लिए लखनऊ चले गए| गुप्तजी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से १९५५ में विज्ञान स्नातक व  विज्ञान परास्नातक गणित (एम. एस. सी. मैथ्स) की उपाधि अर्जित की| अपनी बी. एस. सी. की शिक्षा के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय की सुभाष होटल में और पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान तिलक हॉस्टल में रहे| इन्होंने व्यायाम विशारद की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी। फिर उस दौरान मल्लखंभ और जिमनास्ट जैसे खेलों का अभ्यास किया था। इसलिए वह अपनी उच्च शिक्षा के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय में जिम्नास्टिक चैंपियन और स्पोर्ट्स सिल्वर जुबली 1955-1956 के दौरान कप्तान रहे।

प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता (खरया) का शिक्षा क्षेत्र में नौकरी और योगदान
प्रो. राधाचरण गुप्त ने एम.एस.सी. की शिक्षा के बाद लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज में एक साल के लिए अस्थाई तौर पर गणित के प्रवक्ता रहे। फिर 1958 में गुप्तजी की नौकरी बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, झारखंड, रांची में लग गई। जहां पर गुप्तजी 1958 से 1961 के तक वरिष्ठ प्रवक्ता,  1961 से 1976 तक असिस्टेंट प्रोफेसर, 1976 से 1982 तक एसोसिएट प्रोफेसर और सन् 1982 से 1995 तक प्रोफेसर की सेवाएं दी। यहां पर ही उन्हे 1979 से 1995 तक विज्ञान का इतिहास अनुसंधान केंद्र का प्रभारी अध्यापक बनाया गया।प्रोफेसरराधाचरण गुप्ता  सन् 1973 में अमेरिकन सोसायटी ऑफ मैथमेटिक्स में “द मैथमेटिक्स रिव्यू” के समीक्षक रहे। सन् 1980 में यू. कैलगरी, कनाडा के रिसर्च एसोसिएट भी रहे। वह 1982 से 1985 तक मैथमेटिक्स टीचर्स ऑफ इंडिया एसोसिएशन के लोकल टैलेंट कॉम्पिटिशन के कनवेनर रहे। फरवरी 1995 में विज्ञान के इतिहास की अंतरराष्ट्रीय अकादमी के संबंधित सदस्य रहे। उन्होंने बीईटी में नौकरी के दौरान पत्राचार के माध्यम से ब्रिटिश इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स किया। सन् 1971 में प्रो. गुप्तजी ने रांची विश्वविद्याल रांची, झारखंड से प्रो. टी. के. सरस्वती अम्मा के निर्देशन में “गणित का इतिहास” नामक शोध प्रबंध पर पी. एच. डी. की। 

Jhansi based Professor Radhacharan Gupta to receive the “Padma Shri 2023” by President Droupadi Murmu!


 उनका गणित के प्रति असीम प्यार के चलते प्रो. गुप्तजी ने 1969 में भारतीय गणित में “प्रक्षेप” को संबोधित किया। गणित के इतिहास पर उन्होंने लगभग 500 शोधपत्र व 80 किताबें लिखी। सन् 1979 में “गणित भारती” नामक पत्रिका का सफल सम्पादन और प्रकाशन किया। इस पत्रिका ने गणित के इतिहास के शोधों को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाई।
वर्ष 1991 में उन्हें नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज का फेलो चुना गया। वर्ष 2009 में उन्हें गणित के इतिहास के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित सम्मान केनेथ ओमे से सम्मानित किया गया।  इसी वर्ष में “ब्रिटिश गणितज्ञ आइवर ग्राटन गिनीज अवार्ड से सम्मानित किया गया। ये सम्मान हासिल करने वाले वे अकेले भारतीय हैं।

भारतीय इतिहास के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में उनका ज्ञान विशिष्ट है और किसी को भी उनके अध्ययन-लेखन की शैली प्रभावित कर सकती है।

आईआईटी बांबे ने प्रोफेसर गुप्त के चुनिंदा शोध पत्रों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है, जिसे गणितानंद नाम दिया है। वैदिक गणित के इतिहास पर केंद्रित यह पुस्तक गणित के विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच काफी चर्चित हुई है। इसके साथ ही आईआईटी गांधीनगर उनकी सभी किताबों और शोधपत्रों को डिजिटलाइज करने जा रहा है।

प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता (खरया) का विवाह

जब गुप्तजी बी. एस. सी. प्रथम वर्ष में थेम तभी उनका विवाह १२ दिसम्बर १९५३ को सावित्री देवी गुप्ता के साथ हुआ| उनकी तीन संताने थी| वर्तमान में दो बेटी आभा और ज्योति गुप्ता व बेटा रविंद्र गुप्ता हैं| 

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प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता (खरया) का सादगीपूर्ण है जीवन

गणित के तपस्वी के रूप में विख्यात प्रो. राधाचरण गुप्तजी, इतनी उपलब्धियों के बाद भी वह बेहद सादगी पूर्ण जीवन बिताते हैं। झांसी की रसबहार कॉलोनी स्थित अपने मकान में वह अपनी पत्नी के साथ रहते हैं. वह आज भी अपना अधिकतर समय गणित और रिसर्च को देते हैं. लेखन और शोध के अलावा उनकी कभी किसी अन्य चीजों में दिलचस्पी नहीं रहती है. शहर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में उन्हें शायद ही किसी ने देखा हो.

गणित को रोचक बनाना उनका ध्येय:

पद्मश्री मिलने की खबर सुनने के बाद उन्होंने, एक चानेल से मीडिया बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना जाना काफी सम्मानजनक है. आज तक लोग मुझसे पूछते थे कि आपने इतना काम किया है लेकिन सरकार आपको सम्मानित क्यों नहीं करती. इस घोषणा के बाद उन सब लोगों को जवाब मिल गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज के युवा गणित से दूर इसलिए होते जा रहे हैं क्योंकि गणित को मनोरंजक नहीं बनाया जा रहा है. अगर इस विषय को रोचक ढंग से पढ़ाया जाए तो विद्यार्थी इसमें अवश्य रुचि लेंगे. उन्होंने कहा कि फिलहाल वह अपने सभी कार्यों को संग्रहित और सूचीबद्ध करने का काम कर रहे हैं.

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प्रोफेसर गुप्त को “पर्ल्स ऑफ बुंदेलखंड” की उपमा:

पिछले वर्ष ही झांसी में तत्कालीन कमिश्नर डॉ. अजय शंकर पांडेय की पहल पर प्रोफेसर गुप्त को “पर्ल्स ऑफ बुंदेलखंड” की उपमा देकर एक सार्वजनिक समारोह में उन्हें सम्मानित किया गया था। अब उसी “पर्ल्स ऑफ बुंदेलखंड” को भारत सरकार ने पद्मश्री देने का ऐलान कर उनकी साधना को सम्मान दिया है। 88 वर्षीय प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता (खरया) को गणित के इतिहास पर अनोखे योगदान के कारण, उन्हे “आधुनिक आर्यभट्ट” व “बुंदेलखंड के रामानुजन” के नाम से भी जाना जाता हैं।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी 2023 प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता (खरया) को भारत सरकार ने साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री देने की घोषणा कर, उनके भारतीय गणित के वैदिक इतिहास पर वर्षों तक किए अथक परिश्रम और शोध कार्य पर एक मधुर प्रतिफल देने की कोशिश की हैं।

समस्त गहोई बंधुजनों की ओर से वरिष्ठ IAS डॉ अजय शंकर पांडेय जी का आभार। पद्म अवार्ड के लिए अनचिन्हे चेहरों को, समाज की ऐसी विभूतियों को सामने लाकर सर्वोच्च पुरस्कार से पुरस्कृत करने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति का आभार। श्री राधा चरण गुप्ता जी का नाम पद्म पुरस्कार के लिए अनुशंसित करने के लिए यूपी के सीएम श्री योगी आदित्य नाथ जी का भी बहुत आभार।

गहोईमुंबई.कॉम टीम और गहोई मुंबई समाचार चैनल की ओर से प्रोफेसर राधाचरण गुप्ता (खरया) को पद्मश्री मिलने पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।


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