समाजसेविका तृप्ति कठैल विवाह न करने का फैसला लेकर बनीं दीदी मां, 80 अनाथ बेटियों का लालन पोषण कर आत्मनिर्भर बनाया!
नौगांव, छतरपुर, म. प्र.: नौगांव
की 40 वर्षीय समाजसेविका तृप्ति कठैल विवाह नहीं किया, किंतु 80 अनाथ बेटियों की दीदी मां बन गई। वे इन अनाथ बेटियों का लालन पालन कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का अथक प्रयास कर रही है।
बेसहारा और अनाथ बेटियों और महिलाओं के लिए सामाजिक कार्य कर उन्हें स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के साथ अनाथ बेटियों को गोद लेकर उनका जीवन संभालने और संवारने वाली शोभा देवी सामाजिक सेवा समिति की अध्यक्ष तृप्ति कठैल ने अपना पूरा जीवन बेटियों के नाम समर्पित कर दिया है।
प्रसिद्ध समाजसेविका अपनी संस्था के माध्यम से करीब 80 से अधिक अनाथ बेटियों को गोद लेकर उनका लालन पोषण कर रही है। उनके खाते में हर माह 500 रूपए जमा कर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है, साथ ही उनकी शिक्षा दीक्षा और उनके अंदर के हुनर को निखारने का काम कर रही है। वहीं उन्हें सिलाई कढ़ाई कम्प्यूटर आदि में निपुण बनाने का काम कर रही है।

समाजसेविका तृप्ति जी बताती है कि उन्हें अपने इस कार्य के लिए अपने पूरे परिवार का हमेशा सहयोग मिला है। परिवार में एक युवती होने के नाते कभी बंदिश नहीं लगाई। पिता से मिली समाजसेवा की विरासत को आगे बढ़ा रही हूं। गोद ली हुई बेटियों के लालन पालन में परेशानी न हो इसलिए आजीवन वैवाहिक बंधन से मुक्त रहने का निर्णय लिया है। संस्था द्वारा गोद ली हुई बेटियां ही मेरा परिवार है और मैं उनके लिए दीदी मां हूं।
मां से मिली आधा बीघा जमीन पर बेटियों के रहने के लिए बनेगा “अपना घर”। तृप्ति बताती है कि अभी अप्रैल महीने में समिति का दसवां स्थापना दिवस था जिसमें मेरी मां शकुन्तला कठैल ने जोश और जज्बे को देखते हुए अपने हिस्से की आधा बीघा जमीन संस्था को दान कर दी है। इस जमीन पर संस्था अब जन सहयोग से बेटियों के रहने एवं उनके कौशल विकास के लिए अपना घर बनाने जा रही है
इन्होंने 24 से अधिक बेटियों के विवाह करवाए। उन्होंने बताया कि 2013 से अभी तक उनकी समिति के द्वारा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 24 से अधिक बेटियों का विवाह कराया गया है जिसमें समिति के द्वारा सभी के सहयोग से बेटी को घरेलू उपयोग का सामान दिया जाता है। कार्य में नगरवासियों समेत सभी का सहयोग मिलता है।
तृप्ति कठैल कहती हैं कि मेरे संज्ञान में आने वाली हर बेटी, जो मातृ पितृ विहीन है और आर्थिक रूप से कमजोर है. उसके ऊपर कभी भी अनाथ होने का टैग नहीं लगने दूंगी। उनकी दीदी मां बनकर बराबर साथ रहूंगी।
देवताओं के आशीर्वाद से उपजी गहोई प्रजाति हर क्षेत्र में दक्षता रखती हैं। भगवान नारायण के शंख से उत्पादित गहोई शब्द बहुत ही पवित्र हैं। गहोईयो का रहन सहन और खान पान, देवताओं के समकक्ष हैं। हमें गर्व होना चाहिए कि हम गहोई समाज से हैं।
गहोई समाज की समाजसेवी तृप्ति कठैल
के अनाथ बच्चियों के लिए अथक प्रयासों और शोभा देवी सामाजिक सेवा समिति के सामाजिक कार्यों पर सभी गहोई बंधुओं और गहोई मुंबई समाचार की ओर से बहुत बहुत बधाई। आप भविष्य में समाज की समृद्धि और विकास के लिए सहयोगी रहे, यही ईश्वर से कामना हैं।
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