भोजन किस धातु या पदार्थ के बने बर्तन में भोजन करना उचित है, बर्तनो के स्वास्थ्य पर प्रभाव और दुष्प्रभाव जानिए!
भोजन किस धातु या पदार्थ के बने बर्तन में भोजन करना उचित है, अलग अलग धातु व पदार्थ के भोज्य पदार्थ पर प्रभाव और दुष्प्रभाव जानिए!
यदि हम हमारी दिनचर्या पर गौर करेंगे तो जब भी हम भोजन करते है तब किसी न किसी बर्तन का उपयोग करते है और बर्तन किसी न किसी धातु का बना होता हैं। बर्तन को बनाने में कई प्रकार की धातुओं का उपयोग किया जाता हैं, उनमें से प्रमुख धातुएं सोना, चांदी, कांसा, तांबा, पीतल, लोहा, स्टील, एल्यूमीनियम आदि के होते है। इसके अलावा मिट्टी और प्लास्टिक के बर्तन भी होते हैं। आज हम यहां सभी के प्रकार के बर्तनों के खाने पर होने वाले लाभ और हानि या दुष्परिणाम के बारे में जानकारी दे रहे हैं। स्वास्थ का ध्यान रखते हुए आप अपने खाने या भोजन को रखने और बनाने में विशेष बर्तनों का उपयोग कर सकते हैं।
1. सोना (Gold): सोना एक गर्म प्रकृति की धातु है। इसका ऑक्सीकरण नही होता है, जिसके कारण इसमें जंग नहीं लगती हैं। यह एक क्रियाहीन अर्थात non reactive धातु है। इसलिए यह खाने के बर्तन बनाने में बहुतायत में उपयोग में लाया जाता हैं। पुरातन काल में यह धनाढ्य लोगो की पहचान होती थी। उनके घर सोने के बर्तनों में खाना परोसना सामान्य था। सोने बर्तनों में खाना बनाना, रखना और खाना अच्छा होता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक होता हैं।

सोने के बर्तन के उपयोग से स्वास्थ्य में लाभ या हानि?
सोने के बर्तनों में खाना खाने से यह शरीर को बाहरी और आंतरिक रूप से मजबूत, बलवान और कठोर बनाता हैं। यह आंखो की रोशनी को ठीक कर बड़ाने में सहायता करता हैं।
शुद्ध सोना खाने के बर्तन या खाने के लिए योग्य हैं। लेकिन किसी को सोने से एलर्जी है तो इसे उपयोग में नही लेना चाहिए।
इसका उपयोग केक और पेस्ट्री को सजाने में, सोने की धूल को मिठाई में मिलाने हेतु उपयोग में लेते हैं। कई कॉफी कंपनियां तो सोने की धातु को कॉफी में मिलाकर परोसती हैं।
यदि सभी पहलुओं को देखा जाए तो स्वास्थ्य की दृष्टि से सोने का खाना के बर्तनों में उपयोग लाभदायक हैं।
2. चांदी (Silver): चांदी ठंडी प्रकृति वाली धातु हैं। यह शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती हैं। इसके उपयोग से मन शांत होता हैं। कभी आपने सोचा है कि पुरातन काल से लेकर आजतक बच्चे के 6 महीने के होते ही उसको पहला भोज्य पदार्थ खिलाने के लिए चांदी की चम्मच का उपयोग क्यों किया जाता है। इसके बारे में नीचे लिखे लाभ पड़िए।

चांदी के बर्तनों में खाने से स्वास्थ में लाभ या हानि?
चांदी के बर्तनों में भोजन करने से मस्तिष्क तीव्र होता हैं। इसके उपयोग से आंखो की रोशनी बढ़ती हैं। इसे सर्दी व कफ भी ठीक होता हैं। यह पित्तदोष और वातदोष को ठीक करने में बहुत लाभदायक होती हैं।
अंत में चांदी के गुणों को ध्यान में रखते हुए यही सुझाव देंगे कि इसका उपयोग भोजन को ग्रहण करने वाले बर्तनों में उपयोग करना आपकी प्रथम पसंद होना चाहिए।
3. कांसा (Bronze):यह धातु अन्य सभी धातुओं से कुछ ज्यादा वजनी होती हैं। पुरातन काल में कांसे के बने बर्तनों का बहुत उपयोग किया जाता था। कांसे को मंदिर घंटियों की धातु या ब्रोंज भी कहा जाता हैं। इसके नाम पर खेलों में ब्रोंज मेडल भी दिया जाता हैं। इससे ही समझ में आता है कि सोना और चांदी के बाद ब्रोंज मेडल को दिया जाना इसकी महत्ता को दर्शाता हैं। कांसे के बारे में पुरातन ग्रंथो में संस्कृत में कांस्यम बुधिवर्धकम लिखा गया है जिसका मतलब कांसा धातु का उपयोग बुद्धि बड़ाने वाला होता हैं।

कांसे के बर्तनों में भोजन खाने के लाभ:
कांसा से बने बर्तनों का उपयोग खाने में उपयोग करने से बुद्धि तेज होने के साथ साथ वात पित्त रोग में बहुत लाभ पहुंचाता हैं। यह सुख त्वचा, तंत्रिका तंत्र से संबंधित गड़बड़ियां और चिड़चिड़ेपन को ठीक करता हैं। यह मोटापा घटाने, आंखों की नजर ठीक करने और त्वचा से संबंधित समस्याओं में सहायक होता हैं। कांसे के बर्तनों में खाना खाने का अलावा भोजन बनाने से भी स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक हैं। इसके बर्तनों में भोजन बनाने से मात्रा 3 प्रतिशत खाने के पोषक तत्वों का ह्रास होता हैं जबकि अन्य बर्तनों में बहुत ज्यादा पोषक तत्वों का नुकसान होता हैं। कांसे के बर्तनों में खट्टे खाने रखना और परोसना नही करना चाहिए, क्योंकि यह अम्लीय पदार्थ, कांसे से क्रिया कर विषाक्त पदार्थ का उत्पादन करता है, जो कि हमारे स्वास्थ के लिए ठीक नहीं हैं।
अंत में कांसे के बर्तन के स्वास्थ्य की दृष्टि से गुणवत्ता देखे तो इसमें भोजन परोसकर खाना और बनाना लाभदायक हैं। आप इस धातु के बर्तन को वरीयता में उच्च स्थान पर रख सकते हो।
4. तांबा (Copper): तांबा धातु से बने बर्तनों में खाद्य पदार्थों को रखने और उस में रखे भोज्य पदार्थों को खाने से स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही लाभदायक हैं। आप तांबे के बर्तनों की महत्ता इसी बात से समझ सकते है कि आजकल पीने का पानी एक बड़ी तांबे की टंकी में रखते है और साथ में ऑफिस और दिनचर्या में तांबे से बनी पानी की बोतल उपयोग में लेते हैं। जैसा कि हम जानते है कि तांबा का शरीर निर्माण में बहुत सहायक है और शरीर के महत्वपूर्ण पोषण तत्वों में से एक हैं। यह शरीर के लौह तत्व के साथ मिलकर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता हैं। यह साथ में रक्त को साफ करने में भी सहायक होता हैं।

तांबे के बर्तन में भोजन खाने के लाभ:
तांबा हमारे शरीर की अस्थियों, रुधिर वाहिकाओं और तंत्रिकाओं के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता हैं। यह लौह तत्व के अवशोषण में सहायक होता हैं। साथ में सुरक्षा तंत्र की कार्यप्रणाली में सहयोग करता हैं।
तांबे के तत्व हमारे भोज्य पदार्थ में शामिल करने से हृदय वाहिकाओं से संबंधित परेशानियों और ओस्टियोपोरोसिस की समस्या को दूर करने में बहुत ही फायदेमंद हैं। यह जोड़ों और घुटनों के दर्द और कड़कपन को दूर करने में बहुत ही प्रभावी होता हैं। पानी को तांबे की बोतल में रातभर रखने के बाद पीने से थायराइड में भी बहुत लाभ पहुंचाता हैं।
5. पीतल (Brass):जैसा कि हम जानते है कि पीतल एक मिश्र धातु है जो कि तांबे और जिंक के मिश्रण से बनती हैं। पीतल के बर्तन को उपयोग करने से तांबे और जिंक दोनो धातुओं के लाभ मिलते हैं।

पीतल के बर्तनों में भोजन करने से लाभ:
पीतल शरीर को शक्तिशाली और मजबूत बनाता हैं। इसके चिकित्सीय गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं। यह पित्त को शांत कर शरीर के किसी भी भाग में जलन और उत्तेजना को कम करता हैं। यह रक्त में हेमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता हैं। यह त्वचा को स्वस्थ रखता हैं।
पीतल के बर्तनों में भोजन करना उचित है, किंतु इसके बर्तनों में भोज्य पदार्थ पकाना नही चाहिए, क्योंकि यह खट्टे अम्लीय पदार्थों और नमक से क्रिया कर अवांछित तत्व बनाता है जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होता है। इसलिए पीतल के बर्तनों का उपयोग भोजन तैयार करने में उपयोग नहीं करना चाहिए।
6. लोहा (Iron): लोहा और लोहे से बनी वस्तुओं से मानव जीवन से हमेशा जुड़ाव रहा है। लोहे का उपयोग किसान के हल से लेकर घर में सब्जियां काटने वाले हसिया तक होता रहा हैं। लोहे के बर्तनों का उपयोग मुख्य रूप से कड़ाई का भोजन बनाने में उपयोग स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत फायदेमंद रहा हैं। लोहा धातु शरीर निर्माण में बहुत अहम भूमिका निभाती हैं।

लोहे के बर्तन में भोजन बनाने के लाभ:
लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोज्य सामग्री में लोहा धातु का अंश आ जाता है जो कि शरीर को मजबूत बनाता है, साथ में रक्त में लाल रुधिर कणिकाओं के निर्माण में सहयोग देता हैं। रक्त में लोहे का मुख्य काम शरीर में ऑक्सीजन की पूरे अंगों में पूर्ति की भूमिका रहती हैं। यह कई रोगों जैसे पांडू रोग, कमला रोग, पीलिया, शरीर की सूजन आदि को ठीक करने में सहयोग करता हैं।
लोहे के बर्तन में खाना बनाना ठीक है, किंतु लोहे के बर्तनों में कभी भोजन नही खाना चाहिए। ऐसा करने से मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है और बुद्धि का ह्रास होता हैं। इसलिए थोड़ा सावधानी बरते।
7. स्टील (Steel):स्टील एक मिश्र धातु है, जो कि लोह अयस्क से बनी होती हैं। यह न गर्म होने पर क्रिया करता है और न ही यह अम्ल से कोई क्रिया करता हैं। यह मुख्यता क्रियाहीन होता हैं। इसलिए इसके बर्तनों में बने खाने से न ही स्वास्थ्य को कुछ फायदा पहुंचता हैं और न ही कोई नुकसान होता हैं। इसलिए सभी के घरों में स्टील के बर्तन प्रचलन में हैं।

स्टील के बर्तन में भोजन पकाने और खाने से स्वास्थ्य पर प्रभाव:
स्टील के बर्तन भोज्य पदार्थ से कोई क्रिया नहीं करते है। फिर भी यह लोह अयस्क से बना होने के कारण, यह लोह तत्व के गुणों से निहित होता हैं। इससे भी शरीर को लोह तत्व वाले फायदे जैसे sharre की सूजन दूर करना व शरीर का पीलापन दूर होता हैं। इसका उपयोग स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी हैं।
8. एल्यूमीनियम (Aluminium):एल्यूमीनियम एक मिश्र धातु की श्रेणी का हैं, जो कि बॉक्साइट नामक अयस्क से बनता हैं। इसके बने बर्तनों का भोजन बनाने के और खाने में उपयोग अच्छा नही माना जाता हैं। लेकिन यह अन्य धातुओं की तुलना में सस्ता होने के कारण, इसके बने बर्तन हर गांव में गरीब के घर आज भी दिख जायेंगे।

एल्यूमीनियम के बर्तनों में बने भोजन का स्वास्थ्य पर प्रभाव:
एल्यूमीनियम के बर्तनों में बना खाना शरीर को स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत नुकसान पहुंचता हैं। जब आप एल्यूमीनियम के प्रेशर कुकर में भोजन पकाते हो तो 85% पोषक तत्वों का ह्रास हो जाता हैं, जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से बिलकुल ठीक नही हैं।
एल्यूमीनियम के बने बर्तनों में पकाए भोजन खाने से अम्लता, गैस, अपच, पेप्टिक अल्सर और त्वचा संबंधी समस्याएं आती हैं। इससे पिगमेंटेशन, एक्जिमा, डैंड्रफ और आंतों में सूजन की समस्या हो सकती हैं। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता भी हैं। इससे शरीर की हड्डियों का विकास रुकता है और लंबे समय तक उपयोग से ओस्टियोपोरोसिस की समस्या भी आ सकती हैं। इसलिए इसके बर्तनों को हो सके तो अपने रसोईघर से दूर रखें।
9. मिट्टी (Clay):हमारे वेद पुराण के युग से सर्वविदित है कि हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना होता है। इन पांच तत्वों में से एक मिट्टी हमारे जीवन का हिस्सा हैं। यह तो सोचनीय है कि मिट्टी के बने बर्तन हमारे जीवन कितना फायदा पहुंचा सकते हैं। मिट्टी के बर्तन में बना भोजन सबसे ज्यादा स्वादिष्ट और स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम होता हैं। इस भोजन में मिट्टी की सोंधी खुशबू, आप के भोज्य पदार्थ के स्वाद को कई गुना बड़ा देती हैं। मिट्टी के बर्तन में भोजन बनाने से 100% पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं। इसमें अन्य वस्तुओं की तरह पोषक तत्वों का ह्रास नही होता हैं। इन बर्तनों में भोजन को पकाने में समय जरूर लगता है, किंतु स्वास्थ्य की दृष्टि से मिट्टी के बर्तन में पका भोजन बहुत स्वादिष्ट, शुद्ध और कई रोगों से दूर रखने वाला होता हैं।

मिट्टी के बर्तन में बने भोजन को खाने से स्वास्थ्य पर प्रभाव:
मिट्टी के बर्तन में बने भोजन में प्राकृतिक रूप से कई खनिज पदार्थ जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, सल्फर और फास्फोरस आदि मिलता हैं। ये स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक खनिज पदार्थ है, जो कि इंसान को कई बीमारियों से बचाता हैं। मिट्टी का असली गुण क्षारीय होता है, अम्लीय पदार्थों के अम्लता को खत्म कर भोजन के pH को संतुलित कर भोजन को सुपाच्य और स्वादिष्ट बना देता हैं। हम कई वर्षो से मिट्टी के बर्तनों में चाय, दही जमाना, रोटी पकाना, चावल पकाना, पीने के पानी के मटके आदि देखते आ रहे हैं। सनातन समय से मिट्टी के बर्तन का उपयोग स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम बताया गया हैं। मिट्टी के बर्तन में बने खाने से कभी भी आपको गैस, अपच, भारीपन आदि की समस्या नहीं होगी। इस भोजन से आप कई बीमारियों से बचते हैं। इसलिए आज ही आपके खानपान में मिट्टी के बर्तनों को वरीयता दे और स्वस्थ रहे।
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