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Tips for parenting: माता पिता की ये आदतें, बच्चों की मानसिक स्थिति को करती है प्रभावित! आज से ही छोड़िए इन्हे!

Parenting Tips: माता-पिता की ये आदतें बच्चों पर डालती हैं बुरा असर, जानिए इन्हें बदलना क्यों है जरूरी

Parenting Article: मां और पिता कई बार जाने अंजाने में अपनी अनियंत्रित आदतों के कारण कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिससे बच्चों की मानसिक व शारीरिक अवस्था को बहुत चोट पहुंचती हैं। समय रहते यदि मां पिता ने इन बुरी आदतों को नही छोड़ा तो मान लिजिए कि आप अपने बच्चों की जिंदगी बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। आप की इन बुरी आदतों पर रोक ही बच्चों को चिड़चिड़ा, संकोची, गुस्सैल और जिद्दी होने से बचा सकता हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु:

# घर में बच्चों की मानसिक और शारीरिक क्षति का कारण मां पिता की ये बुरी आदतें

# मां पिता की छोटी सी गलती, बच्चों में लाती है चिड़चिड़ापन

# इन गलतियों से बच्चे में आती है हिचकिचाहट, भय और संकोचीपन

# बच्चों में आती है ठीठता और नाराजगी

# ये गलतियां मां पिता से बच्चों के संबंध करती है खराब

Tips for avoiding bad parenting:जैसा हम जानते है कि जिंदगी में हर मानव फिर चाहे मां हो, पिता हो, दादा हो दादा हो, नानी हो, नाना हो, शिक्षक हो, गुरु हो या फिर कोई और हो, सभी कोई न कोई गलती करते है या फिर कुछ अनियंत्रित बुरी आदतों से ग्रसित रहते है, जिससे हमारे आसपास के लोगो पर बुरा असर होना लाज़िमी हैं। फिर बच्चे कैसे अछूते रह सकते हैं। बड़े बुजुर्गो के अलावा खासतौर से मां पिता की गलत आदतों के कारण बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। इससे बच्चों में हिचकिचाहट, संकोचपन, अकेलापन, गुस्सा, जिद्दीपन और भय आदि दिखने लगता हैं। इसलिए हम मां बाप की कुछ गलत आदतों के बारे में बताने जा रहे है, जिन्हे समय पर छोड़ना बहुत ही आवश्यक हैं। ताकि बच्चे के सम्पूर्ण और उचित विकास में कोई अवरोध पैदा न हों।

मां पिता की कुछ बुरी आदतें (Parents bad habits):

1. बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से करना: हर मां पिता अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से करने की बहुत बड़ी गलती करते हैं। जाने अंजाने में आपको पता ही नही लगता कि कब आप अपने बच्चे को दूसरों बच्चों को निम्नतर दिखा देते हैं। जैसे जब आप बच्चे को स्कूल छोड़ते हैं तब अपने बच्चे को प्रोत्साहित करने चक्कर में अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से करके उसकी कमियां गिना देते हैं। कभी कभी रिश्तेदार के सामने अपने बच्चे की तुलना उनके बच्चे से कर देते हैं। आपकी यह तुलना करने की बुरी आदत, आपके बच्चे के आत्मविश्वास में कमी लाता हैं। साथ में वह अपने आप को स्कूल, कॉलेज, और रिश्तेदारों के बीच दूसरों की तुलना में कमतर आंकने लगता है, जिससे वह हीन भावना का शिकार हो जाता हैं। वह लोगो से मिलने में कतराने लगता हैं। यह बात उसे अकेलापन की ओर ढकेल देती हैं। इसलिए यह आदत मां पिता जितने जल्दी छोड़े, आपके बच्चे के भविष्य के लिए उतना ही अच्छा हैं।

2. बच्चे के आलोचक नही, प्रशंसक बनिए: कई बार मां पिता, जाने अंजाने में पूरे समय बच्चे के पीछे पड़े रहते हैं। वो हमेशा उसकी छोटी छोटी बातों में आलोचना करने लगते हैं। हर गलती पर आलोचना बच्चों को बर्दास्त नही होती हैं। तुम ये ठीक से नहीं करते हो, देखो हम लोग कितने अच्छे से करते है। ये सब बातें उनमे झुंझलाहट और चिड़चिड़ापन लाते हैं। आप को समझना होगा कि वो अभी बच्चे है। आप के जैसे सोचने और समझने की उनमें समझ नही हैं। आप उन्हें समझा सकते है, वो भी प्यार से, नही तो वो उसी समझाने को आलोचना समझने में देर नहीं करेंगे। इसलिए आप उनके अच्छे कामों की प्रशंसा कीजिए और समझाने को सुझाव के रूप में समझाइए ताकि वो आपको आलोचक न समझे। इसलिए बच्चों की आलोचना करना आज ही छोड़े और उनके मस्तिष्क में किसी भी प्रकार की हीन भावना की ग्रंथि बनने से रोके, नही तो बच्चे आपकी बातों को संजीदगी से नही लेंगे।

3. दूसरों का गुस्सा अपने बच्चों पर निकालना: कई बार आप अपने जीवन में घटित होने घटनाओं के चलते अपना गुस्सा और झुंझलाहट अपने बच्चों पर निकालने लगते हैं। फिर मां हो या पिता, कभी भी अपनी घर के या ऑफिस के तनाव के कारण आए गुस्से को अपने बच्चों पर मत उतारे। क्योंकि बेवजह गुस्सा आपके बच्चों के मस्तिष्क पर गलत प्रभाव डालता हैं। वह सोचने पर मजबूर हो जाते ही कि मेरी कोई गलती न होते हुए भी मुझे क्यों डांट रहे हैं। इससे उनमें आपके प्रति सम्मान कम होता हैं। वो आपको नज़र अंदाज़ करने लगते हैं। इसलिए मां पिता को बेवजह गुस्सा दिखाने और चिल्लाने से बचना चाहिए ताकि आपके बच्चे के मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव न हो और उसके सकारात्मक विकास में सहयोग मिले।

4. बच्चों की निजता को सार्वजनिक करने से बचे

अब आप सोचेंगे कि बच्चों की निजता क्या होती हैं। कई बार बच्चो की कुछ कमियां भी होती है, जैसे कुछ शब्दों में तुतलाना, कुछ विशेष शारीरिक भाग भंगिमाएं, बाथरूम में गाना गुनगुनाना, है के खाने का तरीका, अकेले में कुछ अपनी खुशी के काम करना आदि। आप को बच्चों की निजता का उल्लंघन नहीं करना हैं। बच्चे जब अपने कमरे में रहते हैं तो कई बार अपने मां पिता का कमरे में आना पसंद भी नहीं आता हैं। ऐसे में आप उनके निजता के पल सोशल मीडिया या फिर किसी रिश्तेदार या दोस्त के सामने उजागर करते है तो जाने अंजाने में आपके बच्चे हंसी के पात्र बन जाते हैं। यही बात बच्चों को सालती हैं। इसलिए वह कई अपनी निजी बाते और आदतें मां पिता से सांझा करने में हिचकिचाने लगते है, जिससे उनके मन में अकेलापन घर करने लगता हैं। इसलिए मां पिता को यह आदत तुरंत छोड़ देना चाहिए और सतर्कता के साथ उनका निजी जीवन, निजी हो बने देना चाहिए।


5. बच्चों के सामने किसी दूसरे की बुराई करना: कई बार जाने अंजाने में मां पिता दूसरों की बुराई करने में इतने व्यस्त रहते ही कि उनका ध्यान ही नही जाता कि दूर बैठा बच्चा इसे ध्यान से सुन रहा हैं। मोबाइल पर दूसरों की बुराई के दौरान उपयोग में लाई गई शब्दावली भी जब बच्चों के कानो तक पहुंचती है तो वह उनके मस्तिष्क में नकारात्मक प्रभाव लाती हैं। वो भी बुराई और गलत शब्दावली को अपने जीवन में उपयोग में लाने लगते हैं। इस कारण उनका अच्छा इंसान बनाने का आपका सपना धूमिल हो सकता हैं। कृपया बच्चों के सामने दूसरों की बुराई करना और दुर्वचन के उपयोग से बचना चाहिए।

6. दूसरों के सामने अपने बच्चे को डांटना: अक्सर मां पिता बिना सोचे समझे बच्चों पर किसी अन्य सदस्य, अपरिचित व रिश्तेदार के सामने डांटने लगते है या फिर कोई बात पर सुनाने लगते है तो वह मानसिक रूप से बहुत आहत होता है और अपने आप को अपमानित महसूस करता हैं। इस कारण वह आपसे दूर दूर रहने लगता है। वह अकेलेपन के गर्त में भी जा सकता हैं। हमें समझना होगा कि हर बच्चा हर एक चीज में सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकता हैं। सबकी अपनी अपनी विशेषता होती हैं। इसलिए आप बच्चों की प्रशंसा या बुराई किसी अन्य सदस्य के सामने बच्चे के सामने रहते मत कीजिए।