गहोई दिवस २०२३: श्री गहोई वैश्य समाज पंचायत गाडरवाड़ा ने भव्यता से मनाया गहोई दिवस, मनमोहक झांकी के साथ चल समारोह!
गाडरवाड़ा, मध्य प्रदेश: सम्पूर्ण भारतवर्ष में २२ जनवरी २०२३ को गहोई दिवस को भव्य रूप से मनाया गया! इस अवसर पर मध्यप्रदेश का गाडरवाड़ा शहर भी पीछे नहीं रहा!

श्री गहोई वैश्य समाज पंचायत गाडरवाड़ा के गहोई बंधुओं ने भव्य चल समारोह निकाला और आराध्य सूर्य देव की विशाल झांकी निकाली!

भव्य चल समारोह में सूर्य देव के साथ माँ नर्मदा जयंती महोत्सव की झांकी विभिन्न बाज़ारों से होकर निकली! इस चल समारोह में गाडरवाड़ा क्षेत्र की पंचायतों के पदाधिकारियों और महिलाओं ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया! सभी गहोई बंधु ने गुलाबी केसरिया रंग के सुन्दर परिधान और पगड़ी धारण कर चल समारोह में चार चाँद लगाए! रैली के समापन पर वरिष्ठजनों के सम्मान के साथ, इतनी बड़ी संख्या में गहोई बंधुओं के शामिल होने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया गया! कार्यक्रम में गहोई प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया!

इस शुभ अवसर पर श्री गहोई वैश्य समाज पंचायत गाडरवाड़ा के सभी पदाधिकारी और समिति के सदस्य उपस्थित रहे!





इस प्रकार श्री गहोई वैश्य समाज पंचायत गाडरवाड़ा ने भव्य रूप से २२ जनवरी २०२३ को गहोई दिवस मनाकर अनूठी मिशाल पेश की और भारतवर्ष के साथ विदेश में निवासरत सभी गहोई बंधुओं को गहोई दिवस की बहुत बहुत बधाई दी!
मकर संक्रांति और गहोई दिवस के उपलक्ष्य में विशाल राम रोटी सेवा के अंतर्गत श्री गहोई वैश्य समाज पंचायत गाडरवाड़ा द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सभी शहरवासियों के साथ साथ परिक्रमा वासियों को स्वादिष्ट भोजन खिलाया गया! देवताओं के आशीर्वाद से उत्पत्तित गहोई प्रजाति, समाज के कल्याण के लिए ही बनी हैं| अपने सुकार्य और कमर्ठता से धन उपार्जन कर परिवार के जीवन यापन के साथ साथ धार्मिक और सामाजिक कार्य करना ही गहोई की सार्थकता हैं! इस राम रोटी सेवा में समाज के गणमान्य गहोई बंधू जैसे ओ. पी. कनकने, शिव कुमार नीखरा, बबलू कनकने, संजय हूंका, अमित रूसिया, राजेश गुप्ता, गोलू गेड़ा और कई सहजातिया बंधुओं ने सहयोग प्रदान किया!

गहोई मुंबई समाचार की ओर से बहुत बहुत बधाई! आप सभी सम्मान एवं प्रशंसा के हक़दार हैं| इसी तरह गहोई समाज अपने सुकर्मों और धार्मिक कार्यों से समाज और देश की सेवा करती रहे, यही कामना करते हैं|
श्री गहोई वैश्य समाज पंचायत गाडरवाड़ा के भव्य सूर्य देव की झांकी के साथ गहोई दिवस के चल समारोह का वीडियो:
Credit: Gahoi Mumbai Samachar
कैसे मनाये गहोई दिवस:
१. सबसे पहले गहोई सजातीय बंधुओं को भगवान सूर्य से सम्बंधित रंगों जैसे पीले या केसरिया रंग के परंपरागत वस्त्रों को धारण करें, यदि संभव हो तो केसरिया रंग का साफा या पगड़ी अपने सिर पर धारण करे!
२. इसके पश्चात एक किसी निश्चित स्थान, वो अपने गहोई समाज का सांस्कृतिक भवन या धर्मशाला भी हो सकती हैं, पर एकत्रित हो!
३. सभी अपने माथे पर सूर्य भगवान के चिन्ह वाला टीका, चन्दन या केसरिया रंग के सिंदूर से बनाये!
४. इसके पश्चात् हमारे आराध्य देव श्री सूर्य नारायण की प्रतिकृति या बड़ी प्रतिमा को फूलों इत्यादि से सजाकर चल समारोह में एक झांकी के रूप में बैंड बाजों के साथ अनुशसित तरीके से निकाले! इस दौरान आप हाथों के केसरिया रंग के झंडे भी लेकर चल सकते हैं, जिस आराध्य देव श्री सूर्य नारायण भगवान के चिन्ह के साथ “जय गहोई – जय भारत” लिखा हो! ये हमारे संगठित होने की निशानी हैं और मिलकर सभी सजातीय गहोई बंधुओं की परेशानियों को दूर कर उनको समृद्धि की ओर ले जाने की द्योतक हैं!
५. इस दौरान आप जय गहोई जय भारत के नारे भी लगाते हुए चल सकते हैं!
६. आप इस चल समारोह का समापन शहर या गांव में स्थित सूर्य नारायण मंदिर या फिर उपलब्ध कोई भी मंदिर में कर सकते हैं! मंदिर में जाकर सूर्य नारायण देवता के साथ अन्य देवताओं की पूजा अर्चना कर गहोई समाज के विकास और समृद्धि की कामना करना चाहिए!
७. मंदिर में चल समारोह के समापन के बाद, यदि व्यवस्था हैं तो मंदिर प्रांगण में गहोई ध्वज को फहराये और गहोई गीत को सभी गहोई बंधु अपने अंतर्मन से गाये! गहोई ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। ध्वज का रंग केसरिया रखे! गहोई ध्वज पर आराध्य देव श्री सूर्य नारायण भगवान के चिन्ह के साथ “जय गहोई – जय भारत” लिखा हो! इस ध्वज पर “श्री गहोई वैश्य समाज” के साथ “शहर या गांव का नाम” लिख सकते हैं!
८. इसके पश्चात् समापन कार्यक्रम में हमारी महान विभूतियों जैसे राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त जी, 1952 की प्रथम विधानसभा के सदस्य एवं पूर्व राजस्व मंत्री मध्यप्रदेश शासन परम श्रद्धेय श्री लक्ष्मीनारायण जी गुप्ता (नन्ना जी) आदि का माल्यार्पण कर सम्मानित करें! आप अपने स्थानीय स्तर के श्रद्धेय समाजसेवी विभूतियों को भी साथ में सम्मानित कर सकते हैं!
९. आप स्थानीय स्तर पर बुजुर्ग गहोई बंधुओं को कई रूप में सम्मानित कर सकते हैं! जैसे सबसे बुजुर्ग दंपति, सबसे जयादा उम्र के वरिष्ठ वयक्ति, विवाह के ५० वर्ष पूर्ण किये दम्पति, समाज की उभरती प्रतिभाएं आदि!
१०. यदि संभव हो तो गहोई बंधुओं को समारोह के अंत में जलपान, स्वल्पाहार और पूर्ण भोज्य भी रख सकते हैं! यदि स्थानीय समाज के लोग सक्षम है तो धार्मिक धन पुण्य के परिपेक्ष्य में सामूहिक भंडारा भी रख सकते हैं! इससे जन जन से गहोई समाज की समृद्धि के लिए दिल से आशीर्वाद मिलेगा! इससे गहोई समाज की पहचान हर वर्ग में बनेगी और हम सभी सामाजिक व राजनैतिक रूप से मजबूत बनेंगे!
११. कार्यक्रम के समापन के समय सभी सजातीय गहोई बंधुओं और कार्यक्रम के सफल आयोजन में सहयोगियों को अपने तहे दिल से धन्यवाद कहे!
जय गहोई ~ जय भारत
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